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By - Sapna Jun 25, 2025 Comments (3) Technology

41 साल बाद भारत से कोई एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में: शुभांशु शुक्ला ISS मिशन पर रवाना

केनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा | 25 जून 2025:
भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आज दोपहर 12:01 बजे (भारतीय समयानुसार) अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष के लिए रवाना हो गए।
वे अमेरिका की प्राइवेट स्पेस कंपनी Axiom Space के Ax-4 मिशन के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) जा रहे हैं। शुभांशु के साथ तीन अन्य अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री भी इस मिशन में शामिल हैं।

सभी एस्ट्रोनॉट स्पेसक्राफ्ट में सवार, लॉन्चिंग सफल

  • लॉन्च से पहले सभी कम्युनिकेशन और स्पेससूट चेक पूरे किए गए।

  • ड्रैगन कैप्सूल का हैच बंद किया जा चुका था और क्रू पूरी तरह तैयार था।

  • मिशन के सफल लॉन्च के बाद, ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट अब ISS की ओर रवाना हो चुका है।

  • यह कैप्सूल लगभग 28.5 घंटे की यात्रा के बाद 26 जून शाम 4:30 बजे ISS से जुड़ेगा।


शुभांशु शुक्ला: भारत के अंतरिक्ष इतिहास में नया अध्याय

41 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष की यात्रा कर रहा है। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा सोवियत स्पेसक्राफ्ट से गए थे।
शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर जाने वाले भारत के पहले व्यक्ति और अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं।


शुभांशु कौन हैं?

  • जन्म: 1986, लखनऊ, उत्तर प्रदेश

  • शिक्षा: राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA)

  • 2006 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए, फाइटर जेट पायलट

  • ISRO के गगनयान मिशन के लिए भी चयनित

  • ट्रेनिंग: अमेरिका और रूस में माइक्रोग्रेविटी, साइंटिफिक रिसर्च, इमरजेंसी हैंडलिंग आदि में गहन प्रशिक्षण प्राप्त



ISS पर क्या करेंगे शुभांशु?

  • 14 दिनों तक ISS पर रहेंगे

  • 7 भारतीय वैज्ञानिक प्रयोग और 5 NASA के साथ मिलकर प्रयोग करेंगे

  • प्रमुख विषय: मानव शरीर पर माइक्रोग्रेविटी का प्रभाव, बायोलॉजिकल स्टडीज़, लॉन्ग ड्यूरेशन स्पेस मिशन के लिए डेटा कलेक्शन

  • यह रिसर्च भारत के आगामी गगनयान मिशन 2027 के लिए आधार तैयार करेगा


अंतरिक्ष में भारतीय स्वाद भी

शुभांशु ने अंतरिक्ष में भारत की संस्कृति को भी साथ ले जाने की ठानी है।
वे अपने साथ आम का रस, गाजर का हलवा, और मूंग दाल का हलवा ले गए हैं, जिन्हें वे वहां अपने साथी एस्ट्रोनॉट्स के साथ साझा करेंगे।


मिशन की लागत और महत्व

  • भारत सरकार ने इस मिशन पर अब तक 548 करोड़ रुपये खर्च किए हैं

  • इसमें ट्रेनिंग, लॉजिस्टिक्स, उपकरण, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग शामिल है

  • यह मिशन भारत-अमेरिका सहयोग, ISRO-NASA समझौते और गगनयान की तैयारी का अहम हिस्सा है


क्या है Ax-4 मिशन?

  • यह Axiom Space का चौथा प्राइवेट स्पेस मिशन है

  • मुख्य उद्देश्य:

    • माइक्रोग्रेविटी में वैज्ञानिक प्रयोग

    • नई टेक्नोलॉजी की टेस्टिंग

    • भविष्य के लिए Axiom Station (एक प्राइवेट स्पेस स्टेशन) की योजना को बढ़ावा देना

    • अंतरराष्ट्रीय सहयोग और स्पेस एजुकेशन को बढ़ावा देना


अब तक मिशन छह बार टल चुका था:

  1. 29 मई: ड्रैगन कैप्सूल तैयार नहीं था

  2. 8 जून: फाल्कन-9 में तकनीकी समस्या

  3. 10 जून: खराब मौसम

  4. 11 जून: ऑक्सीजन लीक

  5. 19 जून: क्रू और मौसम से जुड़ी समस्याएं

  6. 22 जून: ISS के ज़्वेज़्दा मॉड्यूल के मूल्यांकन के कारण टला


क्या है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS)?

ISS पृथ्वी के चारों ओर 28,000 किमी/घंटा की रफ्तार से घूमता है। यह हर 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर लगाता है।
यह 5 स्पेस एजेंसीज (NASA, Roscosmos, JAXA, ESA, CSA) का साझा प्रोजेक्ट है और इसमें एस्ट्रोनॉट माइक्रोग्रेविटी में प्रयोग करते हैं।

शुभांशु शुक्ला की यह ऐतिहासिक उड़ान न केवल भारत के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि यह अंतरिक्ष विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।

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