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By - Sapna Singh Nov 25, 2025 Comments (3) राज्य / उत्तराखंड

आज दोपहर बंद हो जाएंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट, हजारों भक्त पहुंचे दर्शन को

बद्रीनाथ, उत्तराखंड:
भगवान विष्णु के दिव्य अवतारों में सम्मिलित पवित्र बद्रीनाथ धाम के कपाट आज दोपहर 2:56 बजे शीतकाल के लिए विधिवत रूप से बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद होने की औपचारिक प्रक्रिया दोपहर 1 बजे से शुरू हो चुकी है। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने इस वार्षिक समारोह के लिए सभी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं, और 5,000 से अधिक श्रद्धालुओं के उपस्थित रहने की संभावना है।

कपाट बंद होने से पहले भव्य सजावट

कपाट बंद होने के अवसर पर बद्रीनाथ मंदिर को 12 क्विंटल गेंदे के फूलों से भव्य रूप से सजाया गया है। फूलों की यह मनमोहक सजावट पवित्र धाम की सुंदरता को और अधिक दिव्य बना रही है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस विशेष क्षण के साक्षी बनने के लिए सुबह से ही कतारों में खड़े दिखाई दिए।

बद्रीनाथ धाम: पंच बद्री का मुख्य केंद्र

बद्रीनाथ मंदिर न केवल 108 दिव्य देशम में शामिल है, बल्कि यह पंच बद्री परंपरा का भी प्रमुख हिस्सा है—

  • योग ध्यान बद्री

  • भविष्य बद्री

  • आदि बद्री

  • वृद्ध बद्री

यह धाम वैष्णवों के लिए अत्यंत पवित्र तीर्थस्थल माना जाता है। मंदिर लगभग 50 फीट ऊँचा है और इसके ऊपर छोटा गुंबद सोने की परत वाली छत से ढका हुआ है।

मंदिर की रचना और विशेषताएँ

बद्रीनाथ मंदिर तीन मुख्य भागों में विभाजित है:

  • गर्भगृह: जहाँ भगवान बद्रीनारायण की मूर्ति प्रतिष्ठित है।

  • दर्शन मंडप: जहाँ पूजा-अर्चना और विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।

  • सभा मंडप: जहाँ तीर्थयात्री एकत्र होते हैं।

मुख्य द्वार के ठीक सामने भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ की मूर्ति स्थापित है, जो हाथ जोड़कर प्रार्थना की मुद्रा में विराजमान है। पूरे परिसर में कुल 15 मूर्तियाँ स्थापित हैं, जिसमें भगवान बद्रीनारायण, कुबेर, नारद, उद्धव, नर-नारायण जैसे दिव्य स्वरूप शामिल हैं।

इसके पहले बंद हुआ केदारनाथ का कपाट

बद्रीनाथ से पहले, 23 अक्टूबर को विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए थे।

  • यह तिथि भाई दूज और अनुराधा नक्षत्र के साथ मेल खाती थी।

  • इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी उपस्थित रहे।

  • ठंड के बावजूद लगभग 10,000 श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने।

शिवलिंग को परंपरागत रूप से कुमजा, ब्रह्मकमल, राख और अन्य पवित्र फूलों से सजाकर समाधि रूप प्रदान किया गया, और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कपाट बंद करने की रस्म पूरी की गई।

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