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By - Sapna Jul 01, 2025 Comments (3) Technology

भारत बना रहा अमेरिका से भी घातक बंकर-बस्टर बम, दुश्मन के 100 मीटर नीचे बने ठिकानों को करेगा तबाह

नई दिल्ली, 30 जून 2025

भारत अब पारंपरिक युद्धक क्षमताओं को एक नए स्तर पर ले जाने की तैयारी कर रहा है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) एक अत्याधुनिक और शक्तिशाली बंकर-बस्टर मिसाइल सिस्टम विकसित कर रहा है, जो दुश्मन के जमीन के 100 मीटर नीचे तक स्थित परमाणु और सामरिक ठिकानों को भी ध्वस्त करने में सक्षम होगा। यह नया हथियार सिस्टम, अमेरिका के GBU-57/A "Massive Ordnance Penetrator" जैसा होगा लेकिन स्वदेशी तकनीक से विकसित और कहीं अधिक कम लागत वाला होगा।

अमेरिका से मिली प्रेरणा, लेकिन स्वदेशी दृष्टिकोण

अमेरिका ने हाल ही में 22 जून को ईरान के फोर्डो परमाणु संयंत्र पर हमला करते हुए अपने B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स से GBU-57/A बंकर-बस्टर बम का इस्तेमाल किया था। यह संयंत्र जमीन से 100 मीटर नीचे पहाड़ों के भीतर स्थित था, जिसे साधारण बमों से नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता था। भारत ने इस वैश्विक घटना से सबक लेते हुए, भविष्य के युद्धों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, अपने स्वयं के बंकर-बस्टर मिसाइलों के विकास में तेजी लाई है।

अग्नि-V का नया रूप: पारंपरिक बम लेकर आएगा तबाही

भारत की अग्नि-V इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल के दो नए वर्जन विकसित किए जा रहे हैं:

  • एक वर्जन एयरबर्स्ट वारहेड के साथ, सतह के लक्ष्यों के लिए

  • दूसरा वर्जन डीप-पेनेट्रेटिंग बंकर-बस्टर मिसाइल के रूप में, जो 8 टन वारहेड ले जाने में सक्षम होगा

ये मिसाइलें विस्फोट से पहले 80-100 मीटर गहराई तक घुसपैठ करने में सक्षम होंगी। इनकी रफ्तार मैक 8 से मैक 20 (ध्वनि की गति से 8-20 गुना अधिक) होगी, जो इन्हें हाइपरसोनिक हथियारों की श्रेणी में लाती है।

दुश्मन के अंडरग्राउंड सैन्य ठिकानों को खत्म करने की क्षमता

नई मिसाइलें खासतौर पर पाकिस्तान और चीन जैसे विरोधी देशों के कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स, मिसाइल लॉन्च साइट्स और अन्य उच्च सुरक्षा वाले भूमिगत ठिकानों को सटीकता के साथ निशाना बनाने के लिए तैयार की जा रही हैं। ये मिसाइलें 2500 किलोमीटर की मारक क्षमता के साथ आएंगी और भारत के पारंपरिक सामरिक हथियारों के जखीरे में अत्यंत अहम भूमिका निभाएंगी।

क्यों भारत का सिस्टम होगा खास?

अमेरिका जैसे देश GBU-57/A जैसे बमों को गिराने के लिए महंगे बॉम्बर्स का उपयोग करते हैं, जबकि भारत इन्हें मिसाइलों के जरिए टारगेट पर पहुंचाएगा, जिससे लॉन्चिंग लागत काफी कम होगी और ग्लोबल डिफेंस मार्केट में भारत को नई पहचान मिलेगी।

आत्मनिर्भर भारत की नई मिसाइल शक्ति

DRDO का यह मिशन भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और तकनीकी उत्कृष्टता को दर्शाता है। भारत अब सिर्फ एक उपभोक्ता नहीं, बल्कि उन्नत सामरिक हथियारों का निर्माता बन रहा है, जो भविष्य के युद्धों में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

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