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By - Sapna Oct 10, 2025 Comments (3) राज्य / बिहार

तेजस्वी की मुश्किलें बढ़ीं! सीट बंटवारे पर महागठबंधन में बढ़ा तनाव, JMM ने मांगीं 12 सीटें, माले और वीआईपी भी अड़े

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन (Grand Alliance) में सीटों के बंटवारे को लेकर तनाव गहराता जा रहा है। अब झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने गठबंधन से 12 सीटों की मांग कर दी है, जबकि माले (CPI-ML) और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) भी अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने पर अड़ी हुई हैं।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी जेएमएम ने बिहार की 12 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। पार्टी के महासचिव विनोद कुमार पांडे ने कहा कि सीटों का अंतिम फैसला हेमंत सोरेन ही करेंगे। जेएमएम ने जिन सीटों पर दावेदारी जताई है, उनमें तारापुर, कटोरिया, मनीहारी, झाझा, पिरपैंती, ठाकुरगंज, बांका, रुपौली, चाकाई, जमालपुर, बानमांखी और रामनगर जैसी सीटें शामिल हैं। ये सभी झारखंड की सीमा से सटे आदिवासी बहुल इलाके हैं।

माले ने ठुकराया ऑफर, मांगीं 30 सीटें

वहीं सीपीआई (माले) ने आरजेडी द्वारा दी गई 19 सीटों की पेशकश को ठुकरा दिया है। पार्टी ने 30 नई सीटों की सूची भेजी है और स्पष्ट कहा है कि इस पर किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। माले दरभंगा, मधुबनी, गया, नालंदा और चंपारण जिलों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहती है।
पिछले विधानसभा चुनाव में माले ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से 12 पर जीत दर्ज की थी। लोकसभा चुनाव में भी उसने 3 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 2 सीटों पर जीत हासिल की थी।

वीआईपी की भी 30 सीटों की मांग

महागठबंधन की सहयोगी विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश सहनी ने भी आरजेडी से 30 सीटों की मांग की है। पार्टी का कहना है कि बिहार के कई जिलों में उसका जनाधार मजबूत है, इसलिए उसे सम्मानजनक प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।
सहनी की सख्त मांग ने तेजस्वी यादव के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है। अगर उनकी बात नहीं मानी जाती, तो वीआईपी “अन्य विकल्पों” पर विचार कर सकती है, जो महागठबंधन के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।

तेजस्वी यादव के सामने बड़ी चुनौती

महागठबंधन में अब सबसे कठिन जिम्मेदारी तेजस्वी यादव के कंधों पर है। एक ओर वाम दलों और सहयोगी पार्टियों की बढ़ी हुई मांगें हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भी अपने हिस्से को लेकर सक्रिय है।
अब देखना होगा कि तेजस्वी यादव किस तरह सीटों का संतुलन बनाते हैं ताकि महागठबंधन एकजुट रह सके और एनडीए के खिलाफ मजबूती से चुनाव मैदान में उतर सके।

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