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By - Sapna Jul 24, 2025 Comments (3) उत्तर प्रदेश

झांसी की चार युवतियों ने रचाई भगवान शिव से अनोखी शादी, वरमाला पहनाई शिवलिंग को

झांसी (उत्तर प्रदेश):
शादियों के तमाम रूपों में से एक अनोखी शादी झांसी में लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई। यहां न तो दूल्हा था और न ही बारात, लेकिन फिर भी विवाह की सभी रस्में पूरी हुईं। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के विश्व शांति भवन आश्रम, गांधीगंज में चार युवतियों ने भगवान शिव से विवाह कर लिया। इस विशेष अनुष्ठान में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और उन्होंने इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बन गर्व महसूस किया।

शिवलिंग को पहनाई गई वरमाला, लिए सात फेरे

इस आध्यात्मिक विवाह अनुष्ठान में शिवलिंग को दूल्हा मानकर विवाह की रस्में निभाई गईं। चारों युवतियों—रेखा (नौगांव, मप्र), वरदानी दीदी (मऊरानीपुर आश्रम), कल्याणी (गुरसरांय), और आरती (बरुआसागर)—ने भगवान शिव को वरमाला पहनाई और सात फेरे लिए। उन्होंने वचन दिए कि वे जीवनभर ब्रह्मचर्य, सेवा और संयम का पालन करते हुए ईश्वर को समर्पित रहेंगी।

शिवभक्त बनकर चुना ईश्वर को जीवनसाथी

चारों युवतियों ने पहले आश्रम में शिक्षा प्राप्त की, फिर आध्यात्मिक मार्ग पर चलते हुए अपने जीवन को परमात्मा को समर्पित करने का निर्णय लिया। इनमें से तीन ग्रेजुएट हैं और रेखा को छोड़कर सभी लंबे समय से ईश्वरीय सेवा में सक्रिय हैं।

समाज और प्रशासन से मिला आशीर्वाद

इस अवसर पर स्थानीय प्रशासन और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने कार्यक्रम में शिरकत की। भाजपा जिलाध्यक्ष प्रदीप पटेल, नगर पालिका अध्यक्ष शशि श्रीवास, महिला व्यापार मंडल अध्यक्ष राधा अग्रवाल समेत अन्य विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे। सभी ने इस आध्यात्मिक निर्णय की सराहना की और इन बहनों को "सच्ची देवियां" कहा।

आश्रम की प्रमुखों ने दी शुभकामनाएं

मऊरानीपुर आश्रम प्रभारी चित्रा दीदी ने कहा, "यह बहनें अब भगवान की सेवा में अपना संपूर्ण जीवन समर्पित करेंगी। यह अत्यंत प्रेरणादायक और समाज के लिए एक मिसाल है।" गुरसरांय केंद्र प्रभारी कविता दीदी और बरुआसागर केंद्र प्रभारी उमा दीदी ने भी चारों बहनों को उनके इस पावन निर्णय के लिए शुभकामनाएं दीं।

“एक जन्म भगवान के लिए”

बीके रेखा ने बताया, “यह मेरा सौभाग्य है कि मैंने परमपिता परमात्मा को अपना जीवनसाथी चुना है। अब मेरा जीवन सेवा, सुख, शांति और प्रेम के लिए समर्पित रहेगा। यह निर्णय पूरी तरह से माता-पिता की सहमति से लिया गया है।”

यह विवाह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि युवाओं को एक वैकल्पिक और आध्यात्मिक जीवन जीने का मार्ग भी दिखाता है।

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