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By - News Desk Jun 30, 2025 Comments (3) मध्य प्रदेश

खिवनी अभयारण्य : प्रभावित जनजातीय परिवारों से सीएम मोहन यादव ने की मुलाकात, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी रहे मौजूद

भोपाल, मध्यप्रदेश।
खिवनी अभयारण्य में वन विभाग की अतिक्रमण हटाओ कार्रवाई से प्रभावित हुए जनजातीय समुदाय के पीड़ित परिवारों ने सोमवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात की। इस दौरान केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी विशेष रूप से मौजूद रहे। मुख्यमंत्री निवास पर हुई इस बैठक में दोनों नेताओं ने पीड़ितों की बातें सुनीं और उन्हें न्याय का भरोसा दिलाया।

बैठक के दौरान मुख्यमंत्री यादव ने कहा, "हमारी सरकार गरीबों और वंचितों की सरकार है। किसी के साथ अन्याय नहीं होने देंगे।" उन्होंने वन विभाग की कार्रवाई की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और स्पष्ट निर्देश दिए कि बारिश के मौसम में इस तरह की कार्रवाई से बचा जाए। सीएम ने अधिकारियों को दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने और प्रभावित परिवारों को सभी शासकीय योजनाओं और सुविधाओं का त्वरित लाभ दिलाने के निर्देश दिए।

गौरतलब है कि खिवनी अभयारण्य, जो सीहोर और देवास जिले की सीमा पर स्थित है, वहां 23 जून को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई थी। इस कार्रवाई में 29 परिवारों के 51 लोग प्रभावित हुए थे। स्थानीय लोगों का आरोप है कि उन्हें भारी बारिश के बीच बेघर कर दिया गया और उनके घरों को तोड़ दिया गया। इससे जुड़ी कई हृदयविदारक तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी सामने आई थीं, जिनमें महिलाएं और बच्चे रोते-बिलखते नजर आए थे।

प्रभावित परिवारों का कहना है कि उन्हें महज एक माह पहले नोटिस दिया गया था, और 14 जून को बेदखली का आदेश मिला था। उन्होंने दस्तावेज प्रस्तुत करने की कोशिश की, लेकिन फिर भी उन्हें हटाया गया।

इस संवेदनशील मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी गंभीर चिंता जताई थी। उन्होंने सीएम यादव से मुलाकात कर मामले में मानवीय दृष्टिकोण से समाधान निकालने की अपील की थी। मुख्यमंत्री ने इससे पहले भी बयान जारी कर कहा था कि प्रशासन को ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए, जिससे विकास योजनाएं भी पूरी हों और जनजातीय समुदायों की गरिमा और अधिकार भी सुरक्षित रहें।

सीएम ने वन मंत्री विजय शाह को मौके पर भेजने और स्थिति का प्रत्यक्ष निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए हैं।

खिवनी अभयारण्य की यह घटना जनसंवेदनशीलता और विकास कार्यों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को एक बार फिर से उजागर करती है। अब देखना होगा कि सरकार की संवेदनशीलता और सक्रियता इस विवाद का समाधान किस दिशा में ले जाती है।

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