Shopping cart

Subtotal: $4398.00

View cart Checkout

Blog Image
By - Sapna Jul 29, 2025 Comments (3) उत्तर प्रदेश

भारत में पहली बार लीवर में विकसित हुआ भ्रूण, बुलंदशहर से सामने आया चौंकाने वाला मामला

बुलंदशहर/उत्तर प्रदेश।
भारत में चिकित्सा विज्ञान से जुड़ा एक अभूतपूर्व मामला सामने आया है, जिसने विशेषज्ञों और डॉक्टरों को चौंका कर रख दिया है। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में एक 30 वर्षीय महिला के एमआरआई स्कैन के दौरान खुलासा हुआ कि वह 12 हफ्ते की गर्भवती है, लेकिन उसका भ्रूण सामान्य रूप से गर्भाशय (Uterus) में नहीं बल्कि लीवर (Liver) के भीतर विकसित हो रहा है।

डॉक्टरों के मुताबिक यह भारत में अपनी तरह का पहला मामला है, जिसे इंट्राहेप्टिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Intrahepatic Ectopic Pregnancy) कहा जाता है। यह एक अत्यंत दुर्लभ और जानलेवा स्थिति मानी जाती है।


क्या होती है एक्टोपिक प्रेग्नेंसी?

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी वह स्थिति होती है, जब निषेचित अंडा (Fertilized Egg) गर्भाशय के बाहर प्रत्यारोपित हो जाता है। सामान्यत: यह फेलोपियन ट्यूब में होता है, लेकिन कुछ दुर्लभ मामलों में यह अंडाशय, गर्भाशय की दीवार या यहां तक कि आंतों या लीवर जैसी अन्य जगहों पर भी हो सकता है।


इंट्राहेप्टिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी क्या है?

इस विशेष मामले में भ्रूण लीवर के ऊतकों के भीतर प्रत्यारोपित हो गया था, जिसे इंट्राहेप्टिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहा जाता है।
यह स्थिति न केवल असाधारण है, बल्कि महिला की जान के लिए भी अत्यंत जोखिमपूर्ण हो सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में इस प्रकार का मामला पहली बार सामने आया है।


एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के प्रकार

  1. ट्यूबल एक्टोपिक प्रेग्नेंसी: निषेचित अंडा फेलोपियन ट्यूब में प्रत्यारोपित होता है।

  2. इंटरस्टीशियल एक्टोपिक: ट्यूब के संकरे स्थान पर इम्प्लांटेशन।

  3. सिजेरियन स्कार एक्टोपिक: पहले सी-सेक्शन के स्थान पर प्रत्यारोपण।

  4. हेट्रोटोपिक प्रेग्नेंसी: एक साथ गर्भाशय के अंदर और बाहर भ्रूण विकास।

  5. सर्विकल एक्टोपिक: गर्भाशय ग्रीवा की परत में भ्रूण इम्प्लांटेशन।

  6. इंट्राहेप्टिक एक्टोपिक: लीवर के भीतर भ्रूण प्रत्यारोपित होना (यह मामला)।


क्या यह जानलेवा हो सकता है?

एनएचएस (NHS) के अनुसार, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी अगर समय रहते पता न चले तो यह आंतरिक रक्तस्राव (Internal Bleeding) का कारण बन सकती है, जो जीवन के लिए खतरनाक होता है। चूंकि भ्रूण गर्भाशय के बाहर सामान्य विकास नहीं कर सकता, इसलिए इस प्रकार की गर्भावस्था को जारी रखना संभव नहीं होता


इलाज क्या है? क्या गर्भपात ही एकमात्र विकल्प है?

इलाज की प्रक्रिया इस पर निर्भर करती है कि भ्रूण कहां और कितना विकसित हुआ है। दो सामान्य उपचार विकल्प होते हैं:

  1. दवा (Methotrexate): भ्रूण की कोशिकाओं को विकसित होने से रोकने के लिए।

  2. सर्जरी (Laparoscopy): भ्रूण को शरीर से हटाने के लिए।

कभी-कभी सामान्य एनेस्थीसिया देकर लैप्रोस्कोपिक प्रक्रिया अपनाई जाती है। यह तय करने में केवल विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह ही सर्वोत्तम मार्गदर्शन हो सकती है।


लक्षण क्या हो सकते हैं?

  • पेट के एक तरफ तेज़ दर्द

  • अत्यधिक वेजाइनल ब्लीडिंग

  • कंधे या गर्दन में दर्द

  • पेशाब या मल त्याग में असामान्यता

  • उल्टी, चक्कर और कमजोरी

अक्सर यह स्थिति गर्भावस्था की नियमित जांच (जैसे अल्ट्रासाउंड या एमआरआई) में ही सामने आती है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post