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By - News Desk Sep 29, 2025 Comments (3) राज्य / राजस्थान

राजस्थान कांग्रेस में सियासी गर्मी: पायलट-गहलोत खेमों के छह बागी नेताओं की वापसी पर हंगामा

राजस्थान कांग्रेस में गुटबाजी एक बार फिर सुर्खियों में है। पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित किए गए छह नेताओं की अचानक वापसी ने गहलोत और पायलट खेमों की राजनीति को नई दिशा दे दी है। जिन नेताओं की वापसी हुई है, उनमें मेवाराम जैन, बालेंदु सिंह शेखावत, संदीप शर्मा, बलराम यादव, अरविंद डामोर और तेजपाल मिर्धा शामिल हैं। यह कदम आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस की नई रणनीति और गुटीय संतुलन को दर्शाता है।

मेवाराम जैन: गहलोत खेमे को मजबूती

बाड़मेर के पूर्व विधायक मेवाराम जैन पर दो साल पहले रेप का केस दर्ज हुआ था। अश्लील वीडियो वायरल होने के बाद उनका निष्कासन हुआ। अब वापसी से गहलोत गुट को राहत मिली है, हालांकि बाड़मेर, बालोतरा और जैसलमेर में पोस्टर विवाद ने माहौल गर्मा दिया है।

बालेंदु सिंह शेखावत: पायलट खेमे की जीत

पूर्व विधानसभा स्पीकर दीपेंद्र सिंह शेखावत के बेटे बालेंदु को वैभव गहलोत की शिकायत पर निष्कासित किया गया था। प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के हस्तक्षेप के बाद उनका निष्कासन रद्द हुआ, जिसे सचिन पायलट गुट की बड़ी जीत माना जा रहा है।

तेजपाल मिर्धा: नागौर में कांग्रेस की उम्मीद

कुचेरा नगरपालिका चेयरमैन तेजपाल मिर्धा को हनुमान बेनीवाल की शिकायत पर पार्टी से निकाला गया था। अब उनकी वापसी से नागौर में कांग्रेस को नया संबल मिलने की उम्मीद है।

संदीप शर्मा: कोर्ट से क्लीनचिट के बाद वापसी

चित्तौड़गढ़ नगर परिषद के पूर्व सभापति संदीप शर्मा पर दुष्कर्म का केस दर्ज हुआ था, जिसे हाई कोर्ट ने झूठा पाया। इसके बाद उन्हें पार्टी में फिर से जगह मिल गई।

बलराम यादव: निर्दलीय चुनाव के बाद फिर कांग्रेस में

श्रीमाधोपुर से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले बलराम यादव की भी वापसी हो गई है। इससे सीकर जिले में कांग्रेस की पकड़ मजबूत होने के संकेत हैं।

अरविंद डामोर: आदेश उल्लंघन के बाद फिर एंट्री

बांसवाड़ा के अरविंद डामोर ने लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी आदेश की अनदेखी की थी। 16 महीने बाद उन्हें फिर से कांग्रेस में शामिल किया गया।

क्यों मचा हंगामा

इन वापसीयों के साथ ही पोस्टर विवाद और पुराने आरोपों ने पार्टी के भीतर खलबली मचा दी है। गहलोत और पायलट दोनों खेमों ने इस अवसर का इस्तेमाल अपनी-अपनी ताकत दिखाने के लिए किया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह रणनीति कांग्रेस को राजस्थान में भविष्य के विधानसभा और लोकसभा चुनावों में गुटीय संतुलन साधने और संगठन को मजबूती देने में मदद कर सकती है।

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