Shopping cart

Subtotal: $4398.00

View cart Checkout

Blog Image
By - News Desk Aug 05, 2025 Comments (3) दिल्ली

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन, केजरीवाल बोले— "सत्ता के सामने सच बोलने वाले विरले नेता थे"

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को 79 वर्ष की उम्र में राम मनोहर लोहिया अस्पताल, दिल्ली में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे। उनके निधन पर आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल समेत कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया और उन्हें एक निडर एवं स्पष्टवादी नेता बताया।

केजरीवाल ने जताया शोक

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर श्रद्धांजलि देते हुए लिखा,

"पूर्व राज्यपाल श्री सत्यपाल मलिक जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। भारतीय राजनीति ने एक ऐसा व्यक्तित्व खोया है जो सत्ता के सामने भी सच बोलने का साहस रखता था। वे देशहित के मुद्दों पर निडर होकर अपनी बात रखने वाले विरले नेताओं में से एक थे। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दें और परिजनों को यह कठिन समय सहने की शक्ति दें। ॐ शांति।"

AAP नेता आतिशी ने भी दी श्रद्धांजलि

दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता आतिशी ने भी मलिक के निधन पर दुख जताते हुए लिखा,

"उन्होंने सार्वजनिक जीवन में सादगी, स्पष्टवादिता और जनहित के मुद्दों पर अपनी बेबाक राय से एक अलग पहचान बनाई। उनका जाना भारतीय राजनीति की एक सधी हुई आवाज का शांत हो जाना है।"

आम आदमी पार्टी का आधिकारिक बयान

AAP की ओर से भी एक शोक संदेश जारी किया गया:

"जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल व देशहित में मजबूती से अपनी आवाज उठाने वाले नेता श्री सत्यपाल मलिक जी का निधन अत्यंत दुःखद है। प्रभु उनकी आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और उनके परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति।"


370 हटने की तारीख से जुड़ा संयोग

5 अगस्त की तारीख सत्यपाल मलिक के जीवन में एक विशेष महत्व रखती है। 5 अगस्त 2019 को, उनके जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहते हुए, केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया था। और संयोग से ठीक 6 साल बाद, 5 अगस्त 2025 को ही उन्होंने अंतिम सांस ली।


राजनैतिक सफर

सत्यपाल मलिक का लंबा और विविधतापूर्ण राजनीतिक जीवन रहा। वे लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य रहने के साथ-साथ गोवा, बिहार, मेघालय, ओडिशा और जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल भी रहे।
वे हमेशा बेबाक बयान और केंद्र सरकार की नीतियों पर खुलकर राय रखने के लिए चर्चा में रहते थे।


उनकी स्पष्टवादिता और निष्पक्षता ने उन्हें राजनीति में एक अलग पहचान दिलाई। सत्यपाल मलिक का जाना न सिर्फ़ एक अनुभवी राजनेता की क्षति है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की एक सशक्त आवाज का शांत हो जाना भी है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post