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By - Sapna Jun 24, 2025 Comments (3) राजनीति

एक फोन कॉल से ईरान सीजफायर पर राज़ी! आखिर कतर क्यों बन गया है वैश्विक कूटनीति का भरोसेमंद चेहरा?

ईरान और इज़रायल के बीच चले 12 दिनों के संघर्ष के बाद हुए सीजफायर में एक छोटे से देश ने बड़ी भूमिका निभाई—वो देश है कतर। कहा जा रहा है कि अमेरिका की पहल के बाद कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने ईरान के अधिकारियों से बातचीत की और महज़ एक कॉल के बाद ईरान युद्धविराम पर राज़ी हो गया।

कतर ने फिर निभाई मध्यस्थ की भूमिका

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले इज़रायल को सीजफायर के लिए राज़ी किया और फिर कतर से आग्रह किया कि वह ईरान पर प्रभाव डाले। इसके बाद शेख मोहम्मद ने ईरानी नेतृत्व से संपर्क किया और सीजफायर पर सहमति बन गई।

यह पहली बार नहीं है जब कतर ने इस तरह की डिप्लोमैटिक मध्यस्थता में अहम भूमिका निभाई हो। बीते एक दशक में कतर ने कई अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को सुलझाने में शांतिदूत की भूमिका निभाई है।


कतर की मध्यस्थता की कुछ प्रमुख मिसालें:

अमेरिका-अफगानिस्तान संघर्ष

2001 से शुरू हुए अमेरिका-तालिबान संघर्ष के दौरान कतर ने 2013 में तालिबान को दोहा में ऑफिस खोलने की अनुमति दी। यहीं पर अमेरिकी और तालिबान अधिकारियों के बीच लंबी वार्ता चली और 2020 में दोहा समझौते के तहत अमेरिकी सैनिकों की वापसी हुई।

रूस-यूक्रेन युद्ध

2023 में कतर की मध्यस्थता से रूस और यूक्रेन के बीच बंदी बनाए गए 15 से अधिक बच्चों की रिहाई हुई। कतर ने उन्हें अपने देश में शरण भी दी थी।

इज़रायल-हमास संघर्ष

2023 के गाज़ा युद्ध में हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों को छुड़ाने में कतर की अहम भूमिका रही। इससे पहले 2006 में हमास द्वारा बंदी बनाए गए इज़रायली सैनिक गिलाद शालित की रिहाई में भी कतर ने सहायक भूमिका निभाई थी।

लेबनान संकट (2008)

हिज़्बुल्लाह और लेबनानी सरकार के बीच गृह युद्ध को समाप्त कराने में कतर ने दोहा समझौता करवाया था, जिससे उस समय का संघर्ष समाप्त हुआ।


आखिर कतर पर इतना भरोसा क्यों करते हैं देश?

तटस्थता की पहचान:

कतर ने खुद को शिया-सुन्नी और पश्चिमी दुनिया के बीच एक तटस्थ पुल के रूप में स्थापित किया है।

सभी पक्षों से संवाद:

वह उन संगठनों से भी संपर्क रखता है जिनसे पश्चिमी देश सीधे बात नहीं करते—जैसे तालिबान और हमास।

भारी निवेश और आर्थिक ताकत:

तेल और प्राकृतिक गैस के अपार भंडार के चलते कतर दुनिया के सबसे अमीर देशों में शामिल है। उसने वैश्विक स्तर पर कई देशों में निवेश किया है, जिससे उसकी कूटनीतिक पकड़ मजबूत हुई है।

अमेरिका से करीबी रिश्ते:

कतर में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा अल-उदेद एयरबेस है, बावजूद इसके उसकी विदेश नीति को स्वतंत्र और संतुलित माना जाता है।

सॉफ्ट डिप्लोमेसी में महारत:

कतर सख्त रणनीति की जगह शांत वार्ता के जरिए समस्याओं का हल निकालने में विश्वास करता है। यही वजह है कि उसे सच्चा और निष्पक्ष मध्यस्थ माना जाता है।

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