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By - News Desk Aug 07, 2025 Comments (3) राज्य / बिहार

"जिसने दो वोटर ID जारी किए, वही सवाल कर रहा": चुनाव आयोग के नोटिस पर तेजस्वी यादव का तंज

पटना: बिहार के नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव ने दो वोटर आईडी रखने के मामले में चुनाव आयोग की ओर से मिले नोटिस पर तीखा तंज कसा है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब दो EPIC नंबर (वोटर ID) खुद आयोग ने जारी किए हैं, तो उनसे स्पष्टीकरण मांगने का क्या औचित्य है?

तेजस्वी यादव ने गुरुवार को पटना से दिल्ली रवाना होने से पहले मीडिया से बातचीत में कहा:

"जिसने दो EPIC नंबर जारी किए, वही सवाल पूछ रहा है। मतलब गलती खुद करे और जवाब हमसे मांगे – क्या यह आज तक हुआ है?"

क्या है पूरा मामला?

तेजस्वी यादव ने 1 अगस्त को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने अपना EPIC नंबर डालकर जानकारी खोजी तो उनका नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं मिला।

बाद में पटना जिला प्रशासन ने सफाई देते हुए कहा कि तेजस्वी द्वारा उपयोग किया गया EPIC नंबर गलत है। प्रशासन ने उनका सही EPIC नंबर और मतदाता सूची में मौजूद उनका नाम सार्वजनिक किया। यहीं से विवाद शुरू हुआ और उन पर दो वोटर आईडी रखने का आरोप लगने लगा।

SDO स्तर से भेजा गया नोटिस

तेजस्वी ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग की ओर से उन्हें कोई सीधा नोटिस नहीं मिला है। यह नोटिस अनुमंडल पदाधिकारी (SDO) के स्तर से भेजा गया है। उन्होंने कहा कि वह इस नोटिस का "अच्छा जवाब" देंगे।

प्रशासन की ओर से पहले नोटिस के बाद, बुधवार को दूसरा नोटिस भी भेजा गया है, जिसमें तेजस्वी से उनके द्वारा सार्वजनिक रूप से बताए गए EPIC नंबर वाला वोटर ID जमा करने को कहा गया है।

चुनाव आयोग की सफाई

बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी के तहत 1 अगस्त को मतदाता सूची का ड्राफ्ट प्रकाशित किया गया था। तेजस्वी द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद चुनाव आयोग ने कहा कि उनके पास पहले से ही एक वैध EPIC नंबर है, और वोटर लिस्ट में उनका नाम सही तरीके से शामिल है।

राजनीतिक रंग लेता मामला

तेजस्वी यादव द्वारा दो EPIC नंबर जारी होने का ठीकरा आयोग पर फोड़े जाने और प्रशासन से जवाबतलब पर सवाल खड़े करने के बाद यह मामला राजनीतिक रूप से गर्मा गया है। आरजेडी इसे चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने का मौका मान रही है, जबकि प्रशासनिक स्तर पर इसे दस्तावेज़ीय विसंगति का मामला बताया जा रहा है।

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